ब्रेकिंग : आत्मानंद स्कूल में शिक्षक ने किया छात्रा से दुष्कर्म, स्टूडेंट हुई गर्भवती…घिनौने कांड में परिचित भी शामिल

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गौरेला-पेंड्रा-मरवाही : जिले से बड़ी खबर आ रही है। यहां स्वामी आत्मानंद स्कूल की छात्रा से शिक्षक ने रेप किया है। इतना ही नहीं इसके बाद स्टूडेंट के रिश्तेदार के परिचित ने भी दुष्कर्म किया। मामले का खुलासा तब हुआ जब छात्रा गर्भवती हुई। बताया जा रहा है की छात्रा 9वीं क्लास पास करके 10वीं में गई है।

. “शिक्षक बने राक्षस, स्कूल बने जंगल”
हमारे समाज में शिक्षक को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के आत्मानंद स्कूल में एक शिक्षक ने साबित कर दिया कि अब गुरु नहीं, कुछ लोग गुरु-घंटाल बन चुके हैं। 9वीं की मासूम छात्रा को निशाना बनाने वाले जैसे “शिक्षक” समाज के लिए वो दाग हैं, जिन्हें साफ करने के लिए सिर्फ कानून नहीं, बल्कि समाज की सोच को धोना होगा। स्कूल, जहां बच्चे भविष्य बनाते हैं, वहां अब माता-पिता बच्चों को भेजने से पहले दस बार सोचेंगे। वाह रे समाज, तेरा “शिक्षा मंदिर” अब जंगल बन गया!

“रिश्तेदार का परिचित: भरोसे का ठेकेदार”

छात्रा के साथ शिक्षक के बाद रिश्तेदार के परिचित युवक ने भी दुष्कर्म किया। वाह, क्या रिश्तेदारी है! ये वही समाज है जो “अपनों” पर आंख मूंदकर भरोसा करता है। रिश्तेदार का परिचित मतलब “विश्वास की गारंटी”? नहीं साहब, अब तो हर चेहरा शक के दायरे में है। अगली बार कोई रिश्तेदार “अच्छे परिचित” की बात करे, तो पहले उसका पुलिस वेरिफिकेशन करवाइए, क्योंकि हमारे समाज में अब भेड़ की खाल में भेड़िए घूम रहे हैं।

. “गर्भावस्था ने खोला राज,
छात्रा की गर्भावस्था ने इस घिनौने कांड का पर्दाफाश किया। लेकिन सवाल ये है कि जब ये सब हो रहा था, तब हमारा समाज क्या कर रहा था? आंखें मूंदे, कान बंद किए, और मुंह सिल लिया? स्कूल में शिक्षक की करतूत, रिश्तेदार के परिचित की हवस, और समाज की चुप्पी—ये तिकड़ी मिलकर मासूमों का भविष्य बर्बाद कर रही है।

पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया, दोनों आरोपी हिरासत में हैं। लेकिन क्या सिर्फ कानून की मार से समाज सुधरेगा? ये वही समाज है जो बेटियों को “लक्ष्मी” कहता है, लेकिन उनके साथ राक्षसी व्यवहार करता है। नैतिकता की किताबें स्कूलों में पढ़ाई जाती हैं, लेकिन लगता है कुछ शिक्षक उसे पढ़ाने की बजाय जलाने में यकीन रखते हैं। समाज को अब जागना होगा, वरना ये दाग और गहरे होंगे।

स्वामी आत्मानंद स्कूल का नाम शिक्षा की मिसाल माना जाता था, लेकिन अब ये खबरें क्या कहती हैं? शिक्षा के मंदिर में अगर ऐसी घटनाएं होंगी, तो माता-पिता अपने बच्चों को कहां भेजेंगे? समाज को चाहिए कि स्कूलों में सिर्फ CCTV ही नहीं, बल्कि शिक्षकों की मानसिकता का भी “चरित्र सत्यापन” करवाए। क्योंकि आत्मा को नंद देने वाला स्कूल अब आत्मा पर दाग लगाने की फैक्ट्री बनता जा रहा है।

नन्ही बिटिया की ये दर्दनाक हादसा हमे सोचने पर मजबूर करने के लिए है। अगर समाज को बदलना है, तो चुप्पी तोड़नी होगी। स्कूलों को सुरक्षित करना होगा, शिक्षकों की जवाबदेही तय करनी होगी, और “रिश्तेदारों” के भरोसे को भी परखना होगा। बेटियों का भविष्य बचाना है, तो समाज को अब नींद से जागना होगा। क्योंकि अगर अब भी नहीं जागे, तो अगली खबर और दिल दहलाने वाली होगी।

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