बिहार में नई वोटर लिस्ट को लेकर राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ता जा रहा है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा की है, जिसके तहत पूरे प्रदेश की मतदाता सूची को नए सिरे से तैयार किया जाएगा।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव से महज दो महीने पहले आठ करोड़ लोगों की मतदाता सूची कैसे बनाई जाएगी? तेजस्वी ने आरोप लगाया कि मांगे जा रहे दस्तावेज़ गरीबों के पास नहीं होते और यह कदम उनके वोटिंग अधिकार को छीनने की साज़िश है। उन्होंने कहा, “सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी डरे हुए हैं और जानबूझकर गरीब तबकों को वोट देने से रोकना चाहते हैं।”
कांग्रेस ने भी इस प्रक्रिया को लेकर चिंता जताई है। पार्टी ने चेतावनी दी कि राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करके कई मतदाताओं को जानबूझकर सूची से बाहर किया जा सकता है।
वहीं, जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में अब जनता जाग चुकी है। उन्होंने कहा, “यह चुनाव जन सुराज की नहीं, बल्कि जनता की जीत होगी। बिहार को अब शिक्षा और रोजगार चाहिए, नेताओं की लूट नहीं।”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस विशेष पुनरीक्षण को एनआरसी से भी ज्यादा खतरनाक करार दिया। उन्होंने कहा कि यह योजना अगले साल चुनावों की तैयारी कर रहे राज्यों को निशाना बना रही है।
