बड़े संकट में सैफ अली खान…. पटौदी परिवार की 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर मंडरा रहा खतरा,जानें क्या है मामला ?

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मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान के लिए हालात मुश्किल भरे नजर आ रहे हैं। एक तरफ हाल ही में हुए जानलेवा हमले के बाद वह अस्पताल से घर लौटे हैं, तो दूसरी ओर उनके पटौदी परिवार की 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के हालिया फैसले के बाद भोपाल स्थित इन ऐतिहासिक संपत्तियों पर शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत सरकार का दावा मजबूत हो गया है।

कौन-कौन सी संपत्तियां हो सकती हैं जब्त?
रिपोर्ट के मुताबिक, भोपाल में पटौदी परिवार की ऐतिहासिक संपत्तियां स्थित हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 15,000 करोड़ रुपये है। इन संपत्तियों में फ्लैग स्टाफ हाउस, नूर-उस-सबा पैलेस, दार-उस-सलाम, हबीबी का बंगला, अहमदाबाद पैलेस, कोहेफिजा प्रॉपर्टी और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। खास बात यह है कि फ्लैग स्टाफ हाउस, जहां सैफ अली खान ने अपना बचपन बिताया था, भी इनमें से एक है।

शत्रु संपत्ति अधिनियम और विवाद का कारण
शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत भारत सरकार उन संपत्तियों पर दावा कर सकती है, जिनके मालिक 1947 के बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे। भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान की सबसे बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान 1950 में पाकिस्तान चली गईं, जबकि उनकी दूसरी बेटी साजिदा सुल्ताना भारत में रहीं और नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी से शादी की। यही कारण है कि साजिदा सुल्ताना कानूनी उत्तराधिकारी बनीं और उनकी संपत्ति सैफ अली खान और उनके परिवार को विरासत में मिली। हालांकि, आबिदा सुल्तान के पाकिस्तान जाने के कारण सरकार ने इन संपत्तियों पर शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत दावा किया है।

कोर्ट का क्या है फैसला?
साल 2014 में शत्रु संपत्ति विभाग के संरक्षक ने पटौदी परिवार की इन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित करने का नोटिस जारी किया था। 2015 में सैफ अली खान ने इस फैसले को चुनौती दी और संपत्तियों पर स्टे ले लिया। लेकिन 13 दिसंबर 2024 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और न्यायाधिकरण में अपील दायर करने के लिए 30 दिन का समय दिया। अब तक सैफ अली खान या उनके परिवार ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया है।

क्या हो सकता है आगे?
यदि सैफ अली खान और उनका परिवार तय समयसीमा के भीतर कोई ठोस कानूनी कदम नहीं उठाता है, तो इन संपत्तियों पर शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत सरकार का अधिग्रहण संभव है। इससे न केवल उनकी विरासत पर सवाल खड़े होंगे बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी यह बड़ा झटका होगा।

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