दीपक मितल प्रधान संपादक छत्तीसगढ़
बालोद ,,भूजल सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार जिले के डौण्डीलोहारा एवं डौण्डी विकासखण्ड को सेफ जोन, गुण्डरदेही एवं बालोद विकासखण्ड को सेमीक्रिटीकल जोन तथा गुरूर विकासखण्ड को क्रिटीकल जोन में रखा गया है।
ऽ जिला प्रशासन बालोद द्वारा जिले में चल रहे जल जतन अभियान अंतर्गत जल संरक्षण, जन जागरूकता अभियान तथा फसल चक्र परिवर्तन एवं पौधरोपण किया जा रहा है।
जिले में जल संरक्षण के अंतर्गत कार्य-
ऽ विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 01 लाख 06 हजार 677 नवीन जल संरचनाओं का निर्माण किया गया है।
ऽ पूर्व निर्मित 30 हजार 849 जल स्त्रोतों का सामूहिक श्रम के माध्यम से मरम्मत एवं साफ सफाई की व्यवस्था की गई।
ऽ ग्राम पंचायतों के माध्यम से जल भराव वाले स्थानों का चिन्हांकन कर नवीन जल स्त्रोतों का निर्माण किया गया।
ऽ प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित आवासों में 10 हजार वाटर रिचार्ज पिट का निर्माण किया गया है।
ऽ वन क्षेत्र में जल संरचनाओं के साथ मृदा एवं जल संरक्षण के कार्य अंतर्गत 03 लाख 88 हजार पौधरोपण किया गया।
ऽ अभियान से प्रेरित होकर ग्रामीणों द्वारा स्वपे्ररणा एवं निजी राशि से 27 हजार से अधिक घरों में सोकपिट संरचना का निर्माण किया गया है।
ऽ जिले में 01 लाख 09 हजार 0273 स्टेगर्ड कंटूर टेंªच का निर्माण किया गया है।
ऽ जिले मंे कुल 140 अमृत सरोवर का निर्माण किया गया है।
ऽ जिले में 01 हजार 944 सामुदायिक तालाब, 06 हजार 160 निजी डबरी/तालाब निर्माण किया गया है।
ऽ जिले में 399 मिनी परकुलेशन टैंक, 06 हजार 614 लूज बोल्डर चैक डेम, 672 नदियों का पुनरूद्धार किया गया है।
ऽ जिले में 69 स्टाॅप डेम, 316 गेबियन चेक डेम, 423 कुंआ का निर्माण किया गया है।
ऽ जिले में कुल 44 हजार 49 वाटर रिचार्ज पिट का निर्माण किया गया है।
फसल चक्र परिवर्तन अंतर्गत किए गए कार्य-
ऽ जिले में विकासखण्ड गुरूर में 36 ग्रामों में ग्रीष्मकालीन धान के रकबे को शून्य कर शत-प्रतिशत दलहन-तिलहन फसलों का क्षेत्र विस्तार किया गया है। इस प्रकार जिले में कुल 5733 है. में ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहन-तिलहन फसलों का क्षेत्र विस्तार किया गया।
ऽ जिले में कुल 7833 कृषकों को अभियान के माध्यम से जोड़ा गया है।
ऽ जिले में कुल 491 कृषक चैपाल का आयोजन किया गया है।
जन जागरूकता अभियान-
ऽ प्रत्येक ग्राम पंचायत में कुल 436 जल वाहिनी समिति तथा जल जतन समिति का गठन किया गया है।
ऽ जल के उपयोग/संचय के तरीके के संबंध में ग्रामीणों से चर्चा एवं लघु फिल्म की प्रस्तुति के माध्यम से जल संचय के संबंध में जागरूक किया जा रहा है।
ऽ स्कूल, महाविद्यालय, एनसीसी, एनएसएस स्तर के विद्यार्थियों को जलमित्र के रूप में भागीदारी सुनिश्चित किया जा रहा है।
प्रभाव-
ऽ वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 01 लाख 06 हजार 677 जल संरचनाओं का निर्माण किया गया है।
ऽ कुल 7442 हेक्टेयर भूमि अन्य फसल में परिवर्तित होने से 65-70 प्रतिशत भूमिगत जल की अनुमानित बचत हुई।
ऽ अभियान के माध्यम से किये गए प्रयासों से जल संरक्षण एवं जल संचय के प्रति जन सामान्य के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है।
चुनौतीयाँ-
ऽ भूमिगत संरचना।
ऽ अन्य फसलों की अपेक्षा धान की अधिक उत्पादकता फलस्वरूप ग्रीष्मकालीन धान का रकबा जिले के कुल रबी फसल क्षेत्राच्छादन में 25 से 35 प्रतिशत क्षेत्र में होना ।
आगामी कार्ययोजना-
ऽ Self sufficient Model Panchayat के रूप में ग्राम पंचायतो को विकसित करना ।
ऽ स्व सहायता समूह की महिलाओ की जन-जागरूकता कार्यक्रम में भागीदारी सुनिश्चित करना ।
ऽ धान के बदले, कम जल खपत वाली अन्य फसल जैसे मक्का, चना उड़द आदि को प्रोत्साहित करना ।
ऽ इस वितीय वर्ष में 05 लाख पौधे के वृक्षारोपण का लक्ष्य ।
ऽ CSR Fund का उपयोग अधिक से अधिक जल संरक्षण एवं जल संरचनाओं के निर्माण व मरम्मत हेतु।
ऽ जिले के सभी विकासखंडों को सेफ जोन में शामिल करना,00
