मांँ धरती और पिता आकाश है,
टिमटिमाते तारों का विश्वास है ,
पिता रब की ,सच्ची अरदास है,
जीवन में इनकी जगह , खास है।
टूटे हुए मनोबल का सहारा हैं,
ऊंँगली पकड़ चलना सीखाते है,
मांँ वर्तमान को ही संँवारती हैं,
पिता भविष्य की चिंता करते हैं।
पिता पतझड़ में भी मधुमास है,
माता-पिता ही हमारे भगवान है,
जिस घर में पिता का साया न हो
वह घर नहीं ,उजड़ा रेगिस्तान है।
पिता साथ हैं तो दुनिया रंगीन है ,
वर्ना जीवन में ,उदासी के साए हैं ,
रिश्ते, व्यवहार सब पिता से ही हैं,
वर्ना तो सारे अपने भी ,पराए हैं ।
पिता तो बस नाव की पतवार है ,
उनसे होते सारे सपने साकार है ,
पिता ही परिवार का पालनहार है
वही सिखाते सभ्यता, संँस्कार है।
पिता से ही बच्चों की पहचान है,
मॉ के मंगलसूत्र का वही शान है ,
हिमालय बनकर रक्षा करते सदा
उनसे होता परिवार का उत्थान है
पिता से ही है इठलाता बचपन है,
माता-पिता से ही रंगीन जवानी है,
वर्ना नींद नही आती इन आंखों में,
केवल उदासी की ही कहानी है।
माता -पिता स्नेह का बंधन है,
उनके चरणों में ही चारों धाम हैं,
संसार के हर माताऔर पिता को,
हम सबका बारम्बार प्रणाम है ।
शोभारानी तिवारी,
619अक्षत अपार्टमेंट, खातीवाला टैंक इन्दौर म.प्र.
