आरंग। 15 दिसंबर से खरमास प्रारंभ हो रहा है। इस आशय की जानकारी देते हुए आचार्य प. अजीत कमलनारायण शर्मा ने बताया कि ज्योतिषीय गणना अनुसार सूर्य ग्रहों के स्वामी हैं और सूर्य को आत्मा कारक भी माना गया है।सूर्य के साथ यदि कोई भी ग्रह हो तो उस ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है। आत्मा के कारक सूर्य देव के गुरु की राशि धनु या मीन में गोचर करने के दौरान खरमास लगता है। सूर्य देव के धनु राशि में गोचर करने या सूर्य के समीप होने से गुरु का प्रभाव क्षीण या शून्य हो जाता है। इसके लिए खरमास लगता है। शुभ कार्य को करने के लिए गुरु का उदय होना अनिवार्य है। गुरु का प्रभाव शून्य होने के चलते खरमास के दौरान मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।इस वर्ष 15 दिसंबर से लेकर 13 जनवरी तक खरमास है। इसके अगले दिन 14 जनवरी को सूर्य देव मकर राशि में गोचर करेंगे। अतः मकर संक्रांति के दिन खरमास समाप्त होगा।
खरमास काल
16 दिसंबर सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे 14 जनवरी 2025 तक सूर्य इसी इसी राशि में रहेंगे. इसलिए 16 दिसंबर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक का समय खरमास होगा.
*खरमास में क्या करें और क्या न करें..?
खरमास के दौरान सूर्य देव की उपासना करना शुभ माना गया है।खरमास में विवाह,सगाई,उपनयन,नींव खनन,भूमि पूजन,गृहप्रवेश,नववधुप्रवेश आदि मांगलिक कार्य वर्जित किया गया है।
संकलनकर्ता रोशन चंद्राकर आरंग