दान करना बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है. सनातन धर्म में सदियों से ही दान की परंपरा रही है. जब आप अंगदान करते हैं तो आप किसी को जीवन का दूसरा मौका देते हैं लेकिन यह सिर्फ एक व्यक्ति को बचाने के बारे में नहीं है अंगदान बहुत से लोगों और परिवारों की मदद कर सकता है वास्तव में हर दाता आठ लोगों की जान बचा सकता है। मेडिकल साइंस के इस दौर में अंग दान, किसी को जीवन देने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन चुका है। जब एक व्यक्ति मृत्यु के बाद अपना शरीर दान करता है तो उससे 8 से 9 लोगों को एक नया जीवन मिलने की संभावना बनती है।
मानव सेवा भाव से जुड़कर अंगदानदाता वीरेंद्र कुमार , उम्र- 36 वर्ष, ग्राम- खुड़ीयाडीह, थाना – बिल्हा,जिला बिलासपुर से है।ये वर्तमान में आरक्षक पद पर पदस्थ हैं। इनके द्वारा अपने निधन के उपरांत शरीर दान देने का निश्चय किया गया है। जिसमें हृदय वाल्व, त्वचा, रक्त वाहिकाएं, हड्डियां, नेत्रदान, शरीर दान देने का प्रण लिया गया है। जो अन्य लोगों को मानव जीवन देने के साथ में अत्यंत श्रेष्ठ और पुण्य का कार्य इन्होंने किया है। इस पुनीत कार्य में उनकी पत्नी राखी टंडन ने भी उनको आत्मिक रूप से सहमति देते हुए उनके इस सेवा भाव की प्रशंसा करते हुए सराहना की है।