R D Burman Death Anniversary: पंचम दा को विरासत में मिला था संगीत, एक क्लिक में जाने कैसे बने संगीत की दुनिया के अभिमन्यु

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मनोरंजन न्यूज़ डेस्क – भारतीय फिल्मों के आधुनिक संगीत के जनक कहे जाने वाले महान संगीतकार ‘आरडी बर्मन’ ने आज ही के दिन 1994 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। आज आरडी बर्मन यानी राहुल देव बर्मन की पुण्यतिथि है। अपने करियर में 3 राष्ट्रीय और 7 फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके राहुल देव बर्मन ने अपनी कला से 2 पीढ़ियों की फिल्मों को संवारा है। राहुल देव को फिल्मी दुनिया में ‘पंचम दा’ कहा जाता रहा है। दा इसलिए क्योंकि वे बंगाल से थे और पंचम इसलिए क्योंकि वे अपनी सांसों के साथ संगीत की विरासत लेकर धरती पर आए थे।

संगीतमय परिवार में जन्म
राहुल देव का जन्म 27 जून 1939 को कोलकाता में हुआ था। राहुल के पिता सचिन देब बर्मन और उनका पूरा परिवार संगीत की दुनिया में काम करता था। जब राहुल कुछ महीने के थे, तब वे खूब रोते थे। राहुल के दादा ने देखा कि राहुल पंचम सुर में रोते हैं। यहीं से उनका नाम पंचम रखा गया। यह कहना सही नहीं होगा कि उस समय कौन जानता था कि यह बालक भारतीय फिल्म जगत के संगीत को नए आयाम देगा। बल्कि यह कहना सही होगा कि राहुल देव बर्मन के पांव पालने में ही दिखने लगे थे। राहुल देव एक संगीतमय परिवार में पले-बढ़े और किशोर होने से पहले ही उन्होंने धुनें बनानी शुरू कर दी थीं। राहुल ने छोटी सी उम्र में ही अपने पिता के लिए एक गाना ‘मेरी टोपी पलट के आ’ बनाया तो उन्हें लगा कि उनका बेटा एक दिन बड़ा संगीतकार बनेगा और हुआ भी ऐसा ही। महज 19 साल की उम्र में राहुल देव बर्मन ने अपनी पहली फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ (1958) की। संगीत की दुनिया के लोगों ने राहुल देव बर्मन को उनकी पहली फिल्म से ही पहचान लिया था। यहां से शुरू हुआ संगीत का यह सफर 101 फिल्मों तक जारी रहा।

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