Motihari पंचायतों में वितरित किए गए डस्टबिन हुए जमींदोज

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बिहार / मधुबन की कई पंचायतों में घरों से कचरा उठाने के लिए किए गए डस्टबिन का कोई अता पता नहीं है. जिन पंचायतों में अभियान के प्रथम व द्वितीय फेज में डस्टबिन का वितरण किया गया है. वे बहुत पहले कबाड़ की भेंट चढ़ गए हैं. बताया जाता है कि डस्टबिन की खरीदारी के लिए 10 से 15 लाख रूपए प्रत्येक पंचायतों को सरकार द्वारा दिए गए थे.

डस्टबिन की खरीदारी में गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिए जाने से वितरण किए गए सभी डस्टबिन जमींदोज हो गए हैं. डस्टबिन का वितरण भी सभी घरों में नहीं किया गया है. लोग पॉलिथिन, कार्टन या अन्य उपेक्षित पात्रों में घरों से कचरा निकालकर हाथ ठेला में या बाहर निकालकर फेंक देते हैं. कुछ पंचायतों में डस्टबिन की खरीदारी भी अभी तक नहीं की गयी है. अभी स्थिति यह है कि स्वच्छता कर्मियों के मानदेय का भुगतान नहीं होने से कई पंचायतों से कचरा का उठाव बाधित है. इधर,कुछ पंचायतों में स्वच्छता कर्मियों को मानदेय के भुगतान का आश्वासन मिलने पर कचरा का उठाव तो शुरू किया गया है. किंतु डस्टबिन का अभाव है. बीडीओ रजनीश कुमार ने बताया कि तीसरे फेज के लिए चयनित पंचायतों द्वारा डस्टबिन की खरीदारी करने का निर्देश दिया गया है. कुछ पंचायतों में स्वच्छता कर्मियों के मानदेय का भुगतान शुरू कर दिया गया है.

पंचायतों में खरीद की गई डस्टबिन का नहीं है कोई अता पता घरों के कचरे को जमा करने के लिए पंचायतों में खरीद की गई डस्टबिन (बाल्टी) का कोई अता पता नहीं है. पंचायतों में पन्द्रहवीं वित्त योजना से प्रत्येक पंचायत में डस्टबिन की खरीद की गई थी. इसपर करीब बारह से पंद्रह लाख रुपए खर्च हुए थे. हालांकि इसकी खरीद वर्ष 2021 में हुए पंचायत चुनाव के पूर्व ही हुई थी. लेकिन इसका वितरण अलग-अलग समय पर हुआ था. डस्टबिन की खरीद में भी काफी अनियमितता बरती गई थी. घटिया क्वालिटी का डस्टबिन खरीदे जाने के कारण यह कुछ ही दिन में टूट फुट गया. डस्टबिन वितरण में भी मुखिया द्वारा काफी भेदभाव बरता गया था. कई ऐसे परिवार थे, जिनके बीच इसका वितरण नहीं किया गया था. डस्टबिन खरीद पर सरकार का करोड़ों रुपये एक प्रखंड में खर्च हुआ था. लेकिन इसका लाभ आज लोगों को नहीं मिल रहा है. घरों में डस्टबिन नहीं होने के कारण लोग घरों के कचरे को या तो पॉलीथिन में रखते है या फिर यहां वहां फेंक देते हैं. बीडीओ मो. इस्माइल अंसारी ने बताया कि अमूमन उसका लाइफ एक से दो साल माना जाता है. नए डस्टबिन खरीद का कोई निर्देश नहीं आया है.

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