हर्षोल्लास के साथ दक्षिण भारत के तेलुगु भाषी मना रहें हैं तीन दिवसीय संक्रांति पर्व

Picture of Big Breaking Navaa Bharat News

Big Breaking Navaa Bharat News

 

बिलासपुरl  सनातन धर्म को मानने वाले तेलुगु भाषी इस वर्ष 13, 14 एवं 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व मना रहें हैं। इस पावन त्योहार को लेकर अंचल के दक्षिण भारतीय, तेलुगू समुदाय में जबर्दस्त उत्साह व उमंग व्याप्त है। पितरों की पुण्य स्मृति से जुड़े इस तीन दिवसीय पर्व के तहत पहले दिन भोगी और दूसरे दिन संक्रांति की पूजा होती है, जबकि तीसरे दिन कनुमा मनाया जाता है। इस क्रम में रविवार सोमवार की दरमियानी रात आंध्र समाज तेलगु भाषी लोगों के द्वारा भोगी मंटा विधान संपन्न किया गया। इस दौरान शहर के आंध्र समाज के लोगो के द्वारा हेमू नगर, अन्नपूर्णा कॉलोनी, सिरगिट्टी तिफरा, बसंत विहार कॉलोनी, देवरी खुर्द आदि अनेक जगहों पर सामाजिक भवनों अपने अपने आंगन में मध्य रात्रि से लेकर सुबह तक विधि विधान पूर्वक बोगी दहन किया गया। परंपरानुसार श्रद्धालु इस अलाव में पानी गर्म कर पावन स्नान करते हैं। वरिष्ट समाज सेवी, सोलापुरी माता पूजा समिति सिरगिट्टी के अध्यक्ष, यू मुरली राव, आंध्र समाज अध्यक्ष एन रमना मूर्ति, सचिव पी श्रीनिवास राव, टी रमेश बाबू, ए सत्यनारायण, पूर्व पार्षद एम श्रीनु राव, साई भास्कर पार्षद, संयुक्त तेलुगू समाज अध्यक्ष बी वेणुगोपाल, डॉ अरुण पटनायक, वी रामा राव पूर्व पार्षद, सी नवीन कुमार, जी रवि कन्ना, जी राजा राव, वी मधुसूदन राव, एस श्रीनिवास राव, जी आनंद राव ई कृष्ण राव, जे जगन राव, बी रामा राव आदि गणमान्य नागरिकों के द्वारा संक्रांति पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते बताया कि मकर संक्राति के पहले दिन भोगी मंटा का पालन अशुभ शक्तियों को नाश कर शुभ शक्तियों का आगमन के लिए किया जाता है। अशुभ शक्तियों के साथ मनुष्य का अहंकार एवं द्वेष भाव भी भोगी मंटा में भस्म हो जाता है। इसके बाद मकर संक्राति से शुभ शक्तियों का आगमन होने लगता है। सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस कारण अग्नि शक्ति में भी वृद्धि होती है। मकर संक्रांति के दिन पावन स्नान, पूजा पाठ व दान- दक्षिणा कर लोग पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।

 

संक्राति के पहले दिन मनाया जाता है भोगी

 

तेलुगू भाषी राज्य आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में संक्रांति पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। तीन दिवसीय संक्रांति पर्व के पहले दिन का मुख्य अनुष्ठान भोगी मंटलू कहलाता है, जहाँ लोग अपने जीवन से पुरानी और नकारात्मक चीजों से छुटकारा पाने के लिए गाय के गोबर और लकड़ी से भोगी अग्नि के रूप में जानी जाने वाली अग्नि जलाते हैं। वे अपने पुराने और अनुपयोगी घरेलू सामान जैसे पुराने कपड़े आदि को अग्नि के सुपुर्द करते हैं और एक नई शुरुआत पर ध्यान केंद्रित करते हैं। परिवार की महिलाएँ नए कपड़े पहनती हैं और अग्नि के चारों ओर भगवान की स्तुति करने के लिए मंत्रों का जाप करती हैं।

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

Leave a Comment

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स