कब से शुरू होगी माघ की गुप्त नवरात्रि… शमशान में अघोरी करेंगे तंत्र साधना! जानें तिथि और महत्व

Picture of Big Breaking Navaa Bharat News

Big Breaking Navaa Bharat News

सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार 1 साल में कुल चार नवरात्रि के पर्व होते हैं, इसमें दो नवरात्रि गुप्त होती हैं. वहीं दो नवरात्रि में एक शारदीय और एक चैत्र की होती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, साल 2025 की पहली नवरात्रि यानी माघ गुप्त नवरात्रि जल्द ही शुरू होने वाली है. वहीं, हिंदी कैलेंडर के अनुसार देखें तो माघ की गुप्त नवरात्रि हिंदू वर्ष की अंतिम नवरात्रि होती है. चैत्र नवरात्रि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. माघ मास में दुर्गा पूजा के साथ-साथ स्नान दान का विशेष महत्व है.

हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की गुप्त रूप से ही साधना की जाती है. इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. गुप्त नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा की तंत्र साधना व तंत्र सिद्धि की जाती है. शास्त्रों के अनुसार, इन दिनों मां दुर्गा की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के दुख दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. कुछ ही दिनों में माघ माह की गुप्त नवरात्रि शुरू होने वाली है. तो चलिए इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं कब से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, और कब है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त .

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 जनवरी शाम 6:05 से शुरू हो रही है जिसका समापन 30 जनवरी को शाम 4:01 पर होगा. ऐसी स्थिति में माघ माह की गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी दिन गुरुवार से शुरू हो रही है. 30 जनवरी से शुरू होने वाले माघ महीने की गुप्त नवरात्रि में कलश स्थापना का पहला शुभ मुहूर्त सुबह 9:25 से लेकर 10:46 तक रहेगा. इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से लेकर 12:56 तक रहेगा.

देवी दुर्गा की 10 महाविद्याएं
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और अघोरी तंत्र-मंत्र सिद्धि प्राप्त करते हैं. हालांकि आम लोग मां दुर्गा की सामान्य तरीके से पूजा अर्चना कर सकते हैं. मां दुर्गा की 10 महाविद्याएं बहुत ही शक्तिशाली और असीम ऊर्जा से भरी हैं और जिस भक्त पर कृपा कर देती हैं, उनके लिए संसार में कुछ भी असंभव नहीं रह जाता है. मां दुर्गा की ये 10 महाविद्याएं हैं.

– माता काली देवी, तारा (देवी),
– माता छिन्नमस्ता देवी, माता षोडशी देवी,
– माता भुवनेश्वरी देवी, माता त्रिपुर भैरवी (त्रिपुर सुंदरी)
– माता धूमावती देवी, माता बगलामुखी देवी
– माता मातंगी देवी और माता कमला देवी

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

Leave a Comment

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स